Thursday, December 18, 2008

नींव

यारा तुम्हारी याद में
दिन वर्ष लग रहे
चान्दिनी के साथ को
सितारे मचल रहे

सूखे की इस मार में
खेत वीरान हो रहे
स्वाति की ब़स तलाश में
बन पपीहा रो रहे

इतने बड़े जहान में
तेरे इस प्यार के लिए
धूल में खोई सुई से
हम ढूँढ ते रहे

जब जब भी उसरी मंजिले इंसाफ के लिए
पत्थर भी उस नीव में
"संधु" हम ही बनें रहे

Wednesday, December 17, 2008

मतदाता

आज फ़िर देखा बचपन
चाय के ढाबे पर प्याले सा टूटता हुआ
तंदूर में डली चपाती सा जलता
ठेले पर कुल्फी सा पिघलता
स्लेट पत्थर सा निरंतर टूटता फुटता घिसता हुआ,
तुझे इस हाल में देखकर भी कितेनो ने अनदेखा किया
क्योंकि
बचपन 'तुम मतदाता नहीं हो '!!!!!!!

Matdata Nahin Ho

Aaj Fir dheka bachapan,
chay ke Dhabe par pyale sa tut ta hua.
tanduri me dali chapati sa jalta,
thele par kulfi sa pighalta,
slate patthar sa nirantar tut ta fut ta ghista hua,
tujhe is haal me dekhakar bhi kiteno ne andheka kiya kyonki

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bachapan ' tum matadata nahin ho!!!!!!!